बच्चों को ही स्कूल में खिलाई गई डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा -छोटे बच्चों को घर में दवा खाने का मिला संदेश

पूर्णिया, खौफ 24। लोगों को फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 20 सितंबर से जिले में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को घर-घर पहुँचकर आशाकर्मियों द्वारा दवाई खिलाई जा रही है। सभी स्कूली बच्चों तक भी दवाई उपलब्ध हो सके इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विद्यालयों में भी बूथ लगाकर उपस्थित बच्चों को दवाई खिलायी जा रही है। जिले के कसबा प्रखंड स्थित उच्च विद्यालय, सब्दलपुर में भी आशा कर्मी बच्चों को दवाई खिलाने पहुँचे लेकिन विद्यालय प्रधानाध्यापक बिपिन कुमार मंडल द्वारा बच्चों को दवाई खिलाने से मना कर दिया गया।

उसने कहा कि दवाई खाने से बच्चों की तबियत बिगड़ सकती है। इसकी जानकारी मिलने पर तत्काल फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित एवं लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने वाली स्थानीय पेशेंट नेटवर्क मेंबर मंजू देवी व ललिता देवी के साथ आशा फैसिलिटेटर जबिना खातून, एएनएम सोनिका कुमारी, एचडब्ल्यूसी लैब टेक्नीशियन विद्यालय पहुँचे । इसके बाद उन्होंने विद्यालय के प्रधानाध्यापक बिपिन कुमार मंडल के साथ वहां उपस्थित सभी शिक्षकों को दवाई के सेवन से होने वाले फायदों की जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को इन दवाइयों का सेवन करना आवश्यक है।

लगातार पांच साल तक नियमित रूप से सेवन करने पर कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित नहीं होगा। उन्हें यह भी बताया गया कि विद्यालय में सिर्फ 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को ही दवाई खिलायी जाएगी। अन्य बच्चों को दवाई उनके घर में ही उनके परिजनों की उपस्थिति में खिलायी जाएगी। उसके बाद प्रधानाध्यापक की सहमति मिलने पर आशाकर्मियों द्वारा केवल उच्च विद्यालय में उपस्थित 40 छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को दवाई खिलाई गई। दवाई खिलाने के बाद भी स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा एक घंटे तक सभी को निगरानी में रखा गया। किसी को कोई समस्या नहीं होने पर बच्चों व शिक्षकों को दैनिक कार्य में भेजने के बाद वहां से स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रस्थान किया।

15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को ही स्कूल में खिलाई गई दवा :

प्रधानाध्यापक की सहमति के बाद विद्यालय में 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को एमडीए की दवा खिलाई गई। प्रधानाध्यापक को बताया गया कि एमडीए कार्यक्रम के द्वारा 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाती जिससे लोग फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं। दवाई खाने से यदि किसी व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया का लार्वा  उपलब्ध होगा तो वह नष्ट हो जाएगा। इससे सम्बंधित व्यक्ति भविष्य में फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित हो सकता है।

15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी यह दवाई खानी जरूरी है लेकिन इसके लिए उनके परिजनों की सहमति आवश्यक है। इसलिए 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दवाई घर में ही खिलायी जाएगी। विद्यालय प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों से प्राप्त सहमति के बाद ही उच्च विद्यालय में उपस्थित बच्चों को आशाकर्मियों द्वारा दवाई खिलाई गई। दवाई खिलाने के बाद उनसभी बच्चों के उंगली में चिह्न लगाया गया और कुछ देर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा निगरानी में रखा गया। इस दौरान विद्यालय में किसी बच्चा या शिक्षक को कोई समस्या नहीं हुई।

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फाइलेरिया होने से हमें जीवन में होती है बहुत समस्या, दवाई खाने से किसी को नहीं होगा फाइलेरिया : नेटवर्क मेंबर

विद्यालय में शिक्षकों को जागरूक करने के लिए नेटवर्क मेंबर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। विद्यालय में प्रधानाध्यापक के दवा सेवन कार्यक्रम आयोजित करने से इंकार करने की जानकारी मिलने पर तुरंत 02 नेटवर्क मेंबर मंजू देवी व ललिता देवी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ उपस्थित हुई। उन्होंने प्रधानाध्यापक और उपस्थित शिक्षकों को दिखाया कि वे पिछले 20 साल से फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हैं। इसके कारण उन्हें बहुत तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मंजू देवी ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित अंग में जब सूजन ज्यादा हो जाती है तो वे खाना नहीं खा सकते हैं। उठ नहीं सकते व शौचालय जाने में भी बहुत समस्या होती है।

अगर सामान्य लोग भी सुरक्षित रहने के लिए दवाई का सेवन नहीं करेंगे तो उन्हें भी फाइलेरिया हो सकता और उन्हें भी ऐसी स्थिति का सामना करना होगा। हमारे समय में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसी व्यवस्था नहीं थी कि हमें घर तक सुरक्षित रहने की दवाई उपलब्ध हो सकती। लेकिन अब यह सुविधा उपलब्ध है जिसका सभी लोगों को लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए दोनों नेटवर्क मेंबर मंजू देवी व ललिता देवी ने अपने फाइलेरिया ग्रसित पैर भी दिखाया जो हाथीपांव की तरह सूजन से ग्रसित था। नेटवर्क मेंबर्स से फाइलेरिया ग्रसित होने पर होने वाली समस्याओं की जानकारी के बाद उपस्थित बच्चों द्वारा दवाइयों का सेवन किया गया। इसके बाद नेटवर्क मेंबर्स ने घर में भी उपस्थित लोगों को आशाकर्मियों के आने पर उनके सामने दवाई खाने के लिए जागरूक करने की जानकारी दी।

पहले दो दिन में 01.52 लाख लोगों को खिलाई गई दवा :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि फाइलेरिया की बीमारी लोगों को क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से होता है। काटने के दौरान मच्छर द्वारा मनुष्य के शरीर में अपना लार्वा छोड़ दिया जाता जो चार पांच साल बाद सूजन के रूप में दिखाई देता है। उसके बाद सेल्फ केयर का ध्यान रखने पर फाइलेरिया ग्रसित अंग को नियंत्रित रखा जा सकता है लेकिन उसका कोई इलाज नहीं हो सकता।

इस बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को छोड़कर अन्य सभी लोगों को स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर दवाई खिलाई जा रही है। इसका सेवन करने के लोग फाइलेरिया होने से बचे रह सकते हैं। इसलिए सभी लोगों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए। 20 सितंबर से शुरू हुआ एमडीए कार्यक्रम के पहले दिन 95 हजार 574 लोगों को तथा दूसरे दिन 56 हजार 991 लोगों को दवा खिलाया गया है।

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